एक अद्भुत सा दिव्य प्रकाश, जिसका कोई अंत नजर न आ रहा था और उस प्रकाश में बनती एक धुंधली सी आकृति। उस आकृति के सामने हाथ बांधे एक लड़का खड़ा था जो पहनावे और शरीर की बनावट से कोई योद्धा ही लग रहा था। उसके योद्धा होने की पुष्टि उसके हाथ में थमी तलवार और पीठ पर टंगे फरसे से हो रही थी। उसकी आँख में आंसू थे, वो चुपचाप सुन रहा था। वो बोला-" पिताजी मानता हूँ, भाई ने जो किया वो गलत था। उसकी वजह से कई ग्रहों का जीवन नष्ट हो गया। परन्तु पिताजी आखिर वो