परमात्मा का आदेश है कि प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन पाँच कार्य अर्थात् पांच महायज्ञ करने अतिआवश्यक हैं- (Compulsory Five Daily Duties).....................(1) ब्रह्मयज्ञ :- ब्रह्मयज्ञ संध्योपसाना वा ध्यान को कहते है। प्रात: सूर्योदय से पूर्व तथा सायं सूर्यास्त के बाद जब आकाश में लालिमा होती है, तब एकांत स्थान में बैठ कर ईश्वर का ध्यान करते हुये ओम् वा गायत्री का अर्थ सहित जप करना ही ब्रह्मयज्ञ या संध्या कहलाती है।(2) देवयज्ञ - अग्निहोत्र अर्थात हवन को देवयज्ञ कहते है। यह प्रतिदिन इसलिए करना चाहिए क्योंकि हम दिनभर अपने शरीर के द्वारा वायु, जल और पृथ्वी को प्रदूषित करते रहते है।