अथ गूँगे गॉंव की कथा - 21

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उपन्यास-   रामगोपाल भावुक                              अथ गूँगे गॉंव की कथा 21                अ0भा0 समर साहित्य पुरस्कार 2005 प्राप्त कृति   21 आज रात मौजी को नींद नहीं आई। तरह-तरह के खट्टे-मीठे संकल्प-विकल्प बनते और मिटते रहे। कभी लगता गाँव में भारी-मारकाट मची है। गरीब और अमीर आमने-सामने लड़ रहे हैं। गरीब निहत्थे हैं। अमीरों ने एक सेना बना ली है, जिनके पास बन्दूकें और बम के गोले हैं। एक नये महाभारत की लड़ाई शुरू हो गई है। ज लड़ाई गाँव-गाँव फैल गई है। जाति, सम्प्रदाय, भाषा और धर्म के बन्धन जनता ने तोड़ डाले हैं। इस लड़ाई का