अथ गूँगे गॉंव की कथा - 20

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उपन्यास-   रामगोपाल भावुक                            अथ गूँगे गॉंव की कथा 20                अ0भा0 समर साहित्य पुरस्कार 2005 प्राप्त कृति   20          दूसरा बोला-‘भैया, अनाज तो साहूकारन के यहाँ से ही लेनों पड़ेगो कि नहीं? हम तो झें काऊ कैसी कहिवे बारे नाने।’     मौजी वहाँ पहले से ही मौजूद था। कुन्दन बिन बुलाये ही, हनुमान बब्बा के दर्शन करने के बहाने वहाँ पहुँच गया। जिन-जिन से मौजी ने आने की कहा था, वे सभी वहाँ आ गये। आपस में खुसुर-पुसुर के स्वर में सलाह-मसवरा किया जाने लगा। खुदावक्स बोला-‘काये मौजी भज्जा, जे सब काये कों इकट्ठे