उपन्यास- रामगोपाल भावुक अथ गूँगे गॉंव की कथा 17 अ0भा0 समर साहित्य पुरस्कार 2005 प्राप्त कृति 17 दोपहर बाद अचानक तेज आँधी आ गई। धूल उड़-उडकर आकाश को छूने लगी। आकाश में बादल छा गये। किसान लम्बे समय से वरसात की प्रतीक्षा कर रहे थे। आज जाने किस पुण्य से बादलों के दर्शन हो रहे हैं। पथन बारे से कन्डे उठाने औरतें घरों से अपनी-अपनी पिरियाँ लेकर निकल पड़ीं। पथन बारे से पिरियों में कन्डे भर-भर कर बिटौरों में डालने लगीं। आँधी थमी तो पानी के बड़े-बड़े बूँदा पड़ने लगे। छोटे-छोटे