उपन्यास- रामगोपाल भावुक अथ गूँगे गॉंव की कथा 14 अ0भा0 समर साहित्य पुरस्कार 2005 प्राप्त कृति 14 कुछ की बातों से आभास हो रहा था कि वे नहीं चाहते कि उनकी लड़ाई शान्त हो। जिससे वे एक जुट होकर न रह सकें। दोनों न्यारे होंगे फिर कर्ज माँगने वाले दबाव डालकर अपना कर्ज माँगेंगे। परिणाम स्वरूप उनके खेत बिचेंगे। लोग लूट का माल समझकर उसे मन माने भाव खरीदेंगे। ब्याज-त्याज में सब हड़प कर जायेंगे। बेचारा कुड़ेरा इस स्थिति में दर-दर भटकेगा।