अथगूँगे गॉंव की कथा - 13

  • 2.8k
  • 1
  • 1.4k

उपन्यास-   रामगोपाल भावुक                                अथ गूँगे गॉंव की कथा 13                अ0भा0 समर साहित्य पुरस्कार 2005 प्राप्त कृति       13       उसी दिन शाम होंने से पहले ही गंगा को तेज बुखार आ गया। यह देखकर घर के सभी लोग अखल-वखल दिखाई देने लगे। मौजी बेचैन होते हुये बोला-‘जाय कोऊ लग तो नहीं बैठो?खारे कुआ नो से निकरी होयगी। पन्ना महाते की जनी बामें गिर कें मरी है। ससुरी वही होयगी। ओऽऽ जलिमा, जातो, तंत्रन -मंत्रन के जानकार कांशीराम कड़ेरे को बुला ला।’        वह कांशीराम कड़ेरे बुलाने चला गया। गंगा जोर-जोर से रोने