अथगूँगे गॉंव की कथा - 7

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उपन्यास-   रामगोपाल भावुक                                अथ गूँगे गॉंव की कथा 7                अ0भा0 समर साहित्य पुरस्कार 2005 प्राप्त कृति     7 अब तक सभी बैठ चुके थे। मौजी भी बैठ गया। वह जाजम पर नहीं बल्कि उसके किनारे पर अछूतों की तरह बैठा था। उसे अपने लोगों और सवणों में कोई अन्तर नहीं दिख रहा था।श्रद्धेय भन्तेजी तख्त पर जो आसन बिछी थी उस पर विराजमान थे। उनके पीछे लोढ़ लगा था जिसके सहारे वे टिके आराम से बैठे थे।       सभा की कार्यवाही शुरू हो गई। अतिथि को मालायें पहनाने का कार्यक्रम चला। मौजी से