उपन्यास- रामगोपाल भावुक अथ गूँगे गॉंव की कथा 3 अ0भा0 समर साहित्य पुरस्कार 2005 प्राप्त कृति अथ गूँगे गॉंव की कथा वह प्रसिद्ध उपन्यास है जो ऐसे भारत के लाखों गांवो की कथा कही जा सकती है जिनमें जाति पाँति और शोषण की निर्मम घटनाओं के बाद भी न प्रतिकार होता न विद्रोह, हर आदमी गूँगा है लाखों गाँवों में। सन 78 में लिखा अविस्मरणीय उपन्यास है यह। 3 इस बस्ती के जमींदार ठाकुर लालसिंह का यह पुस्तैनी मन्दिर है। जमींदारी के जमाने से ही दानास के यहाँ ठहरने की परम्परा रही है।