सोई तकदीर की मलिकाएँ 8 बसंत कौर केसर को उसी तरह नलके के पास बैठा छोङ रोटी के जुगाङ में लग गयी । बेबे जी के लिए यह बहुत बङा सदमा था । उन्हें ब भी न केसर की बात पर विश्वास हो रहा था न बसंत कौर की । ऐसा कैसे कर सकता था भोला । केसर वैसे ही घुटनों में सिर दिये बैठी रही । इस बीच उसे दो उल्टियाँ और हो चुकी थी । पीला रंग सफेद हो गया था । वह सोच रही थी , इससे अच्छा वह भी अपने घर वालों के