जगदीश फिर लेखक से पूछता है – "बताईए ना सर क्या अभिशाप मिला था यक्षिणी को?"लेखक जगदीश के सवाल का जवाब देते हुए कहता है – "वो जानने के लिए तुम्हें मेरी किताब के दूसरे भाग के आने का इंतजार करना पड़ेगा समझे।""अच्छी मार्केटिंग स्ट्रेजी है सर किताब बेचने की।""वो तो होगी ही जगदीश, किताब बेचता हूँ और उस किताब के साथ अपने दर्द भी, तो उन आँसुओं के पैसे तो वसूलूंगा ही ना, बस एक बात दिमाग में रखना कोई भी इंसान बुरा नहीं होता उसे बुरा बनाया जाता है।""मतलब यक्षिणी बुरी नहीं थी उसे बुरा बनाया गया था