तभी अचानक झाड़ियों में से आवाज़ आने लगी.... जिसे सुनकर तीनों अर्लट हो जाते हैं लेकिन बरखा इशिता के पीछे हो जाती है , , उसके डर को समझते हुए इशिता उसके हाथों से लालटेन लेकर खुद आगे बढ़ती है लेकिन तभी सुमित कहता है......" वीरा जी...!... संभलकर कहीं भेडिया न हो...."इशिता गंभीर आवाज में कहती हैं....." चिंता मत करो मैं देख लूंगी.....तुम लालटेन पकड़ो..."इशिता के कहने पर सुमित लालटेन पकड़कर उसके साथ आगे बढ़ता है.....इशिता अपने बूट में से खंजर निकालकर उन झाड़ियों को काटते हुए आगे बढ़ती है.....तभी उस अंधेरे को चीरती हुई लालटेन की रोशनी में दो