4 सिया :: सपने नहीं देखेंगे तो ज़िंदा कैसे रहेंगे । लेकिन मेरे सपनो हिस्सा मयंक नहीं था और न ही मैंने कभी उसे अपने सपनो का पूरा करने का जरिया बनाया था। मयंक को तुम अपने बचपन का दोस्त कहते हों । और तुम्हे यह भी नहीं पता कि उसे क्या परेशानी थीं। मैंने उसे हमेशा दोस्त माना । जब उसने प्रोपोज़ किया तो मैंने उससे कहा कि हम अच्छे दोस्त बनकर रहेंगे। एक दिन उसने मुझे अपने घर पर बुलाया । मैं और वो टीवी पर कोई मूवी देख रहे थें । तभी उसने कहा. उसने मुझे कुछ दिखाना