तलाश - 1

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भाग -1 रात के लगभग ढाईं बजे...... कमरे की खिड़की खुली थी जिससे ठंडी हवा का झोंका बार बार कमरे के अन्दर आकर कानों में अजीब सी खुसफुसाहट पैदा कर रहा था कि तभी बड़ी तेज कैलेंडर के फड़फड़ाने की आवाज आई तो बिस्तर पर लेटी दामिनी की आंख खुली, उसने जल्दी से उठकर देखा तो खिड़की के बाहर का नजारा देखकर थर्रा गई, उसके माथे पर पसीने की बूंदे उभर आईं और फिर भी वो उठकर खिड़की की तरफ जाने लगी | खिड़की के बाहर कई सारे लोग खड़े थे, उनके सबके चेहरे बिल्कुल सफेद थे, जैसे वो मर