सोफ़िया ने कुछ सोचते हुए अपनी गर्दन हाँ में हिलायी। रामिश से दूर रहने के बारे में वोह सोच भी नही सकती थी। उसे इस बात की उम्मीद थी कि वोह अपने डैड को मना लेगी। .............. "माहेरा उठो और मेरे साथ चलो वरना मुझे तुम्हे दोबारा घसीट कर ले जाने में मुझे कोई प्रॉब्लम नही है।" माज़ जो सबक जाने के बाद दोबारा माहेरा से उठने का कह चुका था। मगर वो है कि उठने का नाम ही नही ले रही थी और बस एक टक ज़मीन को ही घूरे जा रही थी। माज़ ने गुस्से से माहेरा का