अहमद ज़ैनब के रूम में गया तो सानिया उसे समझा रही थी। "क्या पट्टिया पढ़ाई जा रही है मेरी भाभी प्लस बहेना को।" अहमद ने मुस्कुरा कर कहा। "कुछ पट्टिया वट्टीया नही पढ़ा रही हु और तुम्हारा टांग अड़ाना जरूरी है क्या।" सानिया ने चिढ़ कर कहा। "ओह मैडम मैं ने पट्टियों का नाम लिया है। वैसे यह वट्टीया क्या होती है?" अहमद ने ज़ैनब के पास बैठते हुए कहा। "तुम अपने काम से काम रखो।" सानिया ने झुंझला कर कहा। "तुम दोनों चुप करो क्यों पागलों की तरह लड़ रहे हो।" ज़ैनब ने तंग आ कर कहा। "तुम हमे