अगली सुबह आरोहि कपड़े प्रेस कर रही थी आरुषि तह लगा रही थी तभी डोर बेल बाजी, आरोहि प्रेस एक साइड में रखते हुए बोली में देखती हु, आरोहि ने जैसे ही दरवाज़ा खोला बाहर रोहित के ममी पापा खड़े थे, आरोहि खुशी से उन्हें गले लगाते हुए फूफी और फूफा जी आप दोनों आ गए,,,,,, वो आरुषि को आवाज़ देने लगी उसकी आवाज़ सुन कर आरुषि सर पर दुपट्टा रखते हुए बाहर आई, और उन दोने के आशीर्वाद लेने लगी। वंश रावत(रोहित के पिता): खुशी से उसके सर पर हाथ फेरते हुए खुश रहो बेटी। वंशिका रावत( रोहित की