अध्याय 26 "अपने कमरे में जा रही हूं" कहती हुई सरोजिनी उठी। पुराना रिश्ता जो अभी तक बड़े अच्छी तरह से चल रहा था वह कट गया जैसे उसके मन में एक शून्यता फैल गई। "अपने-अपने कर्तव्यों को खत्म करने के बाद फिर जाना ही है। इसमें दुखी होने के लिए कुछ भी नहीं है" इस तरह से बड़बड़ाते हुए अपने कमरे की तरफ जाने लगी। अरुणा का उनके साथ उनकी सहेली जैसे चलकर जाना उनके मन को सकून दे रहा था। "अभी आपने उन्हें देखा था। इसीलिए आपको अधिक सदमा लगा और दुख भी होगा" अरुणा धीरे से बोली।