शहर की साँज

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शहर मे अगर सांज ना हो तो वो शहर कैसा,शहर मे अगर देर रात मे, और देर रात तक दंगे फसाद नही होंगे तो इस शहर का पुलिस स्टेशन कैसा, शहर मे अगर टहल ने वाले लोग ना हो तो शहर कैसा, वैसे ही इस शहर मे कुच प्यार करने वाले लोग नही होंगे तो ये ऐसी शहर की सांज कैसी.आप लोगो ने सुना ही होगा अक्सर शहरों वाली कहानिया लेकिन यहा अलग है. यहा शहर की सांज तो है लेकिन सांज मे उजाला नही है. और उजाला किस्से होता है रोशनी से. और रोशनी का वक़्त अभी है. नही