…सुलोचना के ब्याहकर ससुराल चले जाने के पश्चात उसके मायके की स्थिति दयनीय हो गई। जहाँ अकेले दम पर वह पूरे घर का बागडोर सम्भाले रहती थी और बेफिक़्र होकर उसकी दोनों बहनें अपनी सहेलियों संग खेत-खलिहानों में घुमती फिरती। वहीं उसके ससुराल जाने के पश्चात अब दोनों बहनों के पांव में मानो बेड़ियां सी पड़ गई। मां श्यामा तो तड़के ही काम पर निकल जाती और घर के कामकाज के लिए दोनों बहनें फिर एक-दूसरे का मुंह देखती। उनके आलस की वजह से कई मर्तबा पिता मनोहर को भूखे पेट ही रहना पड़ता। पिता से नज़रें बचाकर वे दोनों