भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 21

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और ट्रेन चल दी।करीब 20 मिनट बांदीकुई पहुँचने में लगते थे।मैं ट्रेन से उतरकर भाई के घर चला गया।वहां से हम स्टेशन आ गए।स्टेशन पर ताऊजी का पत्र भाई के हाथ मे देकर मैं बोला,"गुरु(भाई को मैं गुरु ही बोलता था।वह टीचर था)मैं कहीं नही जाऊंगा तुम ही पता करना।'"हा मैं कर लूंगा'।और निश्चित समय पर ट्रेन रवाना हुई।चौथे स्टेशन पर हमें उतरना था।पेसञ्जर ट्रेन थी।इसलिए हर स्टेशन पर रुक रही थी।करीब पौने तीन बजे ट्रेन खान भांकरी स्टेशन पर पहुंची थी।मैं ट्रेन से उतरकर बेंच पर बैठते हुए बोला,"गुरु तू पता कर आ। मैं यहाँ बैठा हूँ "भाई एस