सपने........(भाग-12) आस्था की खुशियों का ठिकाना नहीं था, पर दूसरी तरफ उसके पापा विजय जी को लग रहा था कि उनकी बेटी अपने सपनो के पीछे दौड़ तो रही है, पर दुनिया और उसमें रहने वाले लोग उतने अच्छे नहीं है जितना उनकी प्यारी बेटी सोच रही है.......ये सब सोच कर वो परेशान तो थे पर फिर भी आस्था की खुशी में खुश हो रहे थे या फिर खुश होने का दिखावा कर रहे थे!! निखिल और निकिता दोनो ही आस्था को सपोर्ट कर रहे थे....... शायद हर लड़की के माँ बाप की तरह आस्था के मम्मी पापा भी