बाल संस्कार:शिशु के जन्म से लेकर उसके वयस्क होने तक उसे शिक्षित एवं संस्कारित करना पालन-पोषण या बाल संस्कार (पैरेन्टिंग) कहलाता है।अधिकांश शिशु एवं बालक/बालिका अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। कुछ शिशुओं के साथ उनके दादा-दादी या नाना-नानी भी रहते हैं। किन्तु कुछ स्थितियों में सरकार या स्वयंसेवी संस्थायें बच्चों देखभाल करती हैं।माता-पिता के कर्तव्य:शारीरिक सुरक्षा प्रदान करनाभोजन, वस्त्र एवं आवास प्रदान करनाशिशु को खतरों से बचानाशिशु को रोगों से बचानाशारीरिक विकास:बच्चे के लिये स्वास्थ्यवर्धक वातावरण प्रदान करनाउन साधनों की व्यवस्था जो शारीरिक विकास के लिये आवश्यक हैं।बच्चे को खेलों में से परिचित कराना एवं प्रशिक्षित करनास्वास्थ्यकर आदतें विकसित