अग्निजा - 34

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प्रकरण 34 जयसुख घर आकर कुछ बोला नहीं, पर उसका मूड बदला हुआ था। वह चिंतित है या गुस्से में-रमा को समझ में ही नहीं आ रहा था। लेकिन उसके मन में एक गांठ तो पक्की हो गई थी कि इसकी वजह केतकी ही है। लेकिन रमा को इस बात का अंदाज नहीं था कि वह जिस तरह से केतकी के साथ व्यवहार कर रही है, उसकी जानकारी गांव-भर को मिल गयी है। कानजी चाचा ने इस मौके का फायदा उठाने का विचार किया। वो साला गोवर्धनदास मुझे हराकर अपने आपको बड़ा होशियार समझ रहा है क्या....? अब मेरी बारी