अग्निजा - 31

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प्रकरण 31 शांति बहन को एक बात खटक रही थी। यशोदा तो पाली हुई गाय की तरह सीधी हो गई थी। केतकी को घर से बाहर निकाल दिया था। सबकुछ उनके मनमाफिक हो रहा था, लेकिन भावना किसी की सुनती नहीं थी। वह जितना सुनना चाहती थी, उतना ही सुनती और जो करना चाहे वही करती थी। लेकिन वह अपने व्यवहार में कहीं चूक नहीं करती थी। कभी कोई गलत, झूठा काम करते हुए कोई उसे पकड़ नहीं सकता था। अपने से बड़ी जयश्री को दो-चार बातें सुनाने में भी कोई कमी नहीं रखती थी। एक बात तो थी, लड़की