"परोपकारार्थ मिदं शरीरम्"परोपकार शब्द 'पर और उपकार' शब्दों से मिल कर बना है जिसका अर्थ है दूसरों पर किया जाने वाला उपकार। ऐसा उपकार जिसमें कोई अपना स्वार्थ न हो उसे परोपकार कहते हैं।परोपकार का अर्थ है दूसरों की भलाई करना। परोपकार के समान कोई धर्म नहीं है। परोपकार ऐसा कार्य है, जिससे शत्रु भी मित्र बन जाता है।परोपकार एक सामाजिक भावना है। इसी के सहारे इमारा सामाजिक जीवन सुखी और सुरक्षित रहता है। परोपकार की भाषा से ही हम अपने मित्रों, साथियों, परिचितों और अपरिचितों की निष्काम सहायता करते हैं। प्रकृति हमें परोपकार की शिक्षा देती है। परोपकार को