हिम स्पर्श - 87

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वफ़ाई सावधानी से पहाड़ी मार्ग, जो अभी भी हिम से भरा था, पर जीप चला रही थी। मार्ग घुमावदार और ढलान वाला था। हिम के कारण फिसलन भी थी। फिर भी वह अपने मार्ग पर चलती रही। पाँच घंटे की यात्रा के पश्चात वह सीधे और साफ मार्ग पर थी। आकाश साफ था, धूप निकल आई थी। हिम कहीं पीछे छूट गया था। हवा में उष्णता थी। उसे यह वातावरण अच्छा लगा। कोने की एक होटल पर वह रुकी। चाय के साथ थोड़ा कुछ खाना खाया। गरम चाय ने वफ़ाई में ताजगी भर दी, थकान कहीं दूर चली गई। वफ़ाई