Exploring East India and Bhutan-Chapter-12 सातवा दिन “दीदी” मानसी लगभग दोड़ती हुई रूम में आई और आते ही विनीता से लिपट गई, जेसे वर्षों बाद मिल रही हों. विनीता ने भी उसे प्यार भरी नजरों से देखते हुए बाहों में भर लिया. “मानसी, यहाँ कोई और भी है” मेने शिकायत की “ओह,भैया” कहती हुई, वह मुझ से भी बगलगीर हो गई. “में जानती हूँ, कल बिना बोले जाने की कारण आप दोनों मुझ से नाराज हैं, पर में क्या करू, विदाई के पलों में, में नार्मल नही रह पाती, और इमोशनल हो जाती हूँ, अपने को कंट्रोल नही कर