पहाड़िन-४ इश्क़ और मुश्क कभी छुपते नहीं और जब वो सर पे चढ़ छाए तो अच्छे अच्छे को नाच नचाते है। सूरज चलती ट्रक से उत्तर कर वापिस चंदा को मिलने आ गया। सूरज यार की यारी में फिर से पहाड़ो का सफर करने आ गया। एक स्थान पर जब थक कर सूरज खड़ा रहा था की उसने देखा कुछ काळा कपडे वाले लोग एक बंदी को उठा के लेजा रहे थे। देखने में वो लड़की भोली भली लगती थी और काले कपडे वाले लोग अपना चहेरा छुपाने की कोशिश कर रहे थे। सूरज न जाने क्यों उन के पीछे