जुलाई महीने की सुबह 4 बजे मैं तैयार होके जूत्ते पहन कर घर से निकला। अँधेरा था, पर मेरा रोज़ का यही नियम था। जिम का रास्ता यहाँ से लगभग 4 किलोमीटर था। आसमान में बादल आये हुए थे और बूंदें बरस पड़ने को तैयार ही थी। फिर भी निकला, सोचा बरसेंगी तो भीग लेंगे ,इतनी गर्मी में कौन बारिश में नहीं भीगना चाहेगा, रास्ते में कुछ जगह सुनसान पड़ती थी. कोई लड़की होती तो शायद निकलने से पहले १०० बार सोचती पर मैं तो लड़का हुं, इसका कुछ तो फायदा होगा ही सो बस अपनी मस्ती में चले जा