आशा पाण्डेय का गीत संग्रह बाबा के गाँव में रामगोपाल भावुक जब जब गाँव की बात सामने आती है , मुझे मेरा गाँव, वहाँ की संस्कृति, वहाँ के लोक गीत , वहाँ का अपनापन और परिवेश आँखों के सामने आकर पसर जाता है। आशा पाण्डेय का गीत संग्रह ‘बाबा के गाँव’ सामने आते ही गाँव की स्मृतियों को हरा कर जातीं हैं। आमुख में वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश तोमर जी के आलेख में-‘बाबा के गाँव’ में गाँव बड़ी सजीवता से चित्रित हुआ है। सावन के महीने की धूप, चक्की की तुक तान, खेत बलखाती मेडे़, पनघट, मन्दिर,