शेखर सिम्मी को उसके घर बाइक से पहुँचाने जाता है।सिम्मी के घर वाले शेखर को ताने कंज रहे हैं ।पिताजी सिम्मी के बारे में कहा रहा है -जब भी देखो सहेली ,सहेली,अमेरिका वाली सहेली के नाम ले कर हमें गुमराह तो नही कर रही है।आज शेखर को आ जाने दो सच्चाई उगलवा कर रहूंगा।माँ कहती है- शेखर भला इंसान है । तुम्हारी बेटी का कोई चक्कर वक्कर तो नहीं चल हा है । मै क्या जानू बेटी की तू माँ है दूसरे से भला कौन जानेगा ।पिता जी कहते है-सिम्मी के मालिक आ कर निराश हो कर चला गया ।ये