ये बहुत अच्छा था कि रॉकी हडसन नदी से थोड़ी सी दूरी पर बनी एक छोटी सी कंदरा में रहता था। क्योंकि नदी इतनी तेज़ी से बहती थी कि उसके किनारे रह पाना बहुत ही मुश्किल था। अब कोई इतनी तेज़ धारा के समीप आखिर कब तक रह सकता है? कभी तो थकान के कारण ध्यान चूकेगा ही। और बस, ऐसे में लहरें उसे बहा कर ले जाएंगी तथा न जाने कहां का कहां लेजाकर पटकेंगी। कोई सोच सकता है कि पानी की लहरों से रॉकी को कैसा भय? वह तो खुद एक उम्दा तैराक है! लेकिन कहा जाता है