वजूद

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www.stuffexport.com शहला अम्मी को जरा सा भी नाराज नहीं करना चाहती थी, इसलिए जल्दी से नाश्ता किया, बीचबीच में वह चोर निगाहों से अम्मी के चेहरे की तरफ देखती रही, फिर उस ने नजरें इधरउधर घुमा कर अपनी खुशी बांटने के लिए अब्बू को तलाशा. ‘‘शहला… अरी ओ शहला… सुन रही है न तू? जा, जल्दी से तैयार हो कर अपने कालेज जा,’’ आंगन में पोंछा लगाती अम्मी ने कहा, तो रसोईघर में चाय बनाती शहला को एकबारगी अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ. हैरान सी शहला ने नजर उठा कर इधरउधर देखा. अम्मी उस से ही यह सब