ये पहली बार नहीं था। शकुंतला देवी ने कई बार घर से भागने की कोशिश पहले भी की थी। पहले भी वे नन्हें कुणाल को लेकर दूर कहीं वीराने में चल जाना चाहती थी। लेकिन नौकर चाकरों से भरे विल्ले में उन्हें ये मौका कभी मिला नहीं। देखते ही देखते डेढ़ साल बीत गए। कई कई बार कुणाल की चोटों से परिवार दहल उठता, लेकिन चोट लगने वाले को कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता था। अभी बीते कल की ही बात है, कुणाल के लिए रोटी ख़ुद ही पकाने गयी थी सकुंतला जी। किचन के लंबे चौड़े सेल्फ़ पर एक