28 - प्रेम का चमत्काकर रविवार का दिन था। दोपहर बीत चुका था। सेंटक्लेयर अपने घर के बरामदे में बैठा सिगरेट पी रहा था। बरामदे के सामनेवाले कमरे में उसकी स्त्री मेरी एक गद्दीदार कुर्सी पर बैठी हुई थी। मेरी के हाथ में एक बड़ी सुंदर भजनों की जिल्ददार पुस्तक थी। मेरी का खयाल है कि रविवार के दिन धर्म-पुस्तक पढ़ी न जा सके तो कम-से-कम हाथ ही में रहे। खुली हुई पुस्तक सामने थी। उस समय मेरी उसे पढ़ नहीं रही थी। केवल कभी-कभी आँख उठाकर देख लेती थी। इवा को साथ लेकर मिस अफिलिया मेथीडिस्टों के किसी गिरजे