टॉम काका की कुटिया - 10

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10 - मानवता का हृदयस्प र्शी दृश्य जिस दिन संध्या को इलाइजा ओहियो नदी पार हुई थी, उस दिन साढ़े सात बजे व्यवस्थापिका-सभा के सदस्य वार्ड साहब घर में बैठे अपनी स्त्री से तरह-तरह की बातें कर रहे थे। नीति-विशारद वार्ड साहब और उनकी मेम के बीच जो बातें हो रही थीं, वे इस प्रकार थीं :  मेम ने कहा - "मैं स्वप्न में भी नहीं सोचती थी कि तुम आज घर आ सकोगे।"  "हाँ, मेरे आने की कोई आशा नहीं थी; पर दक्षिण देश की ओर जाना है, इससे सोचा कि आज की रात घर पर बिताकर कल सवेरे