8 - पकड़नेवालों की तैनाती संध्या से पहले ही इलाइजा नदी पार करके दूसरे किनारे पहुँच गई। धीरे-धीरे अँधेरा छा गया। इससे अब वह हेली को दिखाई न पड़ी। हेली निराश होकर सराय में वापस चला आया। उस घर में अकेला बैठा-बैठा अपने भाग्य को कोसता हुआ मन-ही-मन कहने लगा - "इस संसार में न्याय नहीं है। यदि न्याय होता तो मेरे इतने रुपयों का नुकसान क्यों होता?" इसी समय वहाँ दो आदमी और आ गए। उनमें एक ज्यादा लंबा था। उसके चेहरे से निर्दयता टपकती थी। जान पड़ता था, मानो नरक का द्वारपाल है। उसके कपड़े और चाल-ढाल भी