3 - बिदाई की व्यथा दोपहर को शेल्वी साहब की मेम के बाहर चले जाने पर इलाइजा घर में अकेली बैठी हुई चिंता कर रही थी। इतने में किसी ने पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखा। वह चौंक उठी। पीछे घूमकर देखा तो उसका स्वामी था। जार्ज को देखते ही इलाइजा आनंदित होकर बोली - "जार्ज, तुम बड़े वक्त से आए हो? माँ घूमने गई हैं।" पर जार्ज के मुख पर हँसी नहीं थी। उसका दिल बहुत ही दुःखी था। वह इलाइजा से जन्म भर के लिए बिदा माँगने आया था। आज वह और दिनों की भाँति इलाइजा