आमजन से सत्ता के गलियारों तक

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नीलम कुलश्रेष्ठ      मन में उबलते गुबार को, किसी ग़लत या सही बात की प्रतिक्रिया स्वरूप कागजों पर उतार देने के लिये गद्ध में सबसे छोटी विधा है 'लघु कथा. 'कोई ऎसा छोटा काँटा मन में चुभ गया हो, जो लेखकीय रूह को बेचैन किए रहता हो और समय ना हो कि आप उस पर कुछ लंबा लिखें तो उस बेचैनी को 'लघु कथा 'में ढाला जा सकता है लेकिन ये मत समझिए कि हर कोई जब चाहे इसे लिख सकता है क्योंकि ये एक बेहद महीन कारीगरी है. इसके केन्द्र में कोई विचार रखकर छोटी कथा लिखी जाती