Exploring east india and Bhutan... - Part 6

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चोथा दिन : “उठो अब, नही तो आज का दिन बेकार हे चला जाएगा,” विनीता मुझे हिला रही थी “ बस दो मिनट और “ मैने खुशामद की “ कोई दो मिनट नही, उठो अब “ विनीता ने मुझे बाजु से पकड़ कर खड़ा करना चाहा “ अब तो पांच मिनट लगेंगे “ मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया   कल रात होटल यात्री निवास में देर से पहुंचे थे,  दिन भर के थके हुए थे, आते ही सो गुए थे, तो सुबह देर होना लाजमी था. यात्री निवास चार धाम मंदिर के सामने ही स्थित है. ये नाम