आँख की किरकिरी - 8

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(8) उसने आशा से फिर कहा - तुम्हारा यह भिखारी देवर मुझे इंगित करके तुमसे ही दुलार की भीख माँगने आया है- कुछ दे दो न, बहन!  आशा बहुत खीझ उठी।जरा देर के लिए बिहारी का चेहरा तमतमा उठा, दूसरे ही दम वह हँस कर बोला - दूसरे पर यों टाल देना ठीक नहीं है।  विनोदिनी समझ गई कि बिहारी सब बंटाधार करके आया है - इसके सामने हथियारबंद रहना जरूरी है। महेंद्र भी आजिज आ गया। बोला - बिहारी, तुम्हारे महेंद्र भैया किसी व्यापार में नहीं पड़ते, जो पास है, उसी से खुश हैं वे।  बिहारी - खुद न