आँख की किरकिरी - 6

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(6) बिहारी ने कोई जवाब न दिया। वह जा कर महेंद्र से बोला, यार, विनोदिनी की भी सोचते हो?  महेंद्र ने हँस कर कहा - सोच कर रात की नींद हराम है। अपनी भाभी से पूछ देखो, विनोदिनी के ध्यान से इन दिनों और सब ध्यान टूट गया है।  घूँघट की आड़ से आशा ने महेंद्र को चुपचाप धमकाया। बिहारी ने कहा - अच्छा, दूसरा विषवृक्ष चुन्नी उसे यहाँ से निकाल बाहर करने को छटपटा रही है। घूँघट से आशा की आँखों ने फिर उसे झिड़का।  बिहारी ने कहा - निकाल ही बाहर करो तो लौट आने में कितनी देर