आँख की किरकिरी - 2

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(2) उसकी उम्र साफ-साफ कोई न बताता। सगे-संबंधी कहते, बारह-तेरह होगी। यानी चौदह-पन्द्रह होने की संभावना ही ज्यादा थी। लेकिन चूँकि दया पर चल रही थी इसलिए सहमे-से भाव ने उसके नव-यौवन के आरंभ को जब्त कर रखा था।  महेंद्र ने पूछा - तुम्हारा नाम?  अनुकूल बाबू ने उत्साह दिया - बता बेटी, अपना नाम बता!  अपने अभ्यस्त आदेश-पालन के ढंग से झुक कर उसने कहा - जी, मेरा नाम आशालता है।  आशा! महेंद्र को लगा, नाम बड़ा ही करुण और स्वर बड़ा कोमल है।  दोनों मित्रों ने बाहर सड़क पर आ कर गाड़ी छोड़ दी। महेंद्र बोला - बिहारी,