अग्निजा - 6

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प्रकरण 6 प्रभुदास बापू का घर से बाहर निकलना बंद हो गया। एकदम बंद भी नहीं कह सकते, वैसे वह केतकी को लेकर सुबह-शाम महादेव के मंदिर में आरती के समय पर जाते थे। परंतु, अपना बचा हुआ बाकी सारा समय केतकी के साथ बिताते थे। उससे खेलते, उसे खिलाते, सुलाते, जगाते....इन्हीं कामों में उनका सारा समय बीत रहा था। नाना पूरी तरह नातीमय हो गए थे। केतकी भी अपने नाना से इतना लगाव हो गया था कि कोई उसे उनकी गोद से उतार ले, जो दहाड़ मारकर रोने लगती थी। उठाने वाला उसे जैसे ही नाना की गोद में