प्रकरण 5 काल से अधिक गतिमान और कुछ नहीं। काल किसी की परवाह किए बिना अपनी गति से भागता रहता है। आज यशोदा को मायके आकर एक महीना हो गया था। गांव के लोग, आस-पड़ोस के, रिश्तेदार कभी लखीमां को, तो कभी प्रभुदास बापू को टोकते रहते थे। कुछ लोग जयसुख को भी सलाह देने से चूकते नहीं थे। सौ लोग, सौ बातें करते थे, लेकिन सबके कहने का सारांश एक ही था-“बेटी पराया धन होती है। उसे कब तक अपने घर में रखेंगे। झमकू बुढ़िया अब अपना दुःख भूल गई होगी। उसे मनाएं, उसके हाथ-पैर जोड़ें और यशोदा और