हर स्त्री-पुरुष स्वयं में, स्वयं से पूर्ण होकर भी स्वयं के बिना कैसें अपूर्ण हैं?

  • 5.6k
  • 1
  • 2k

चैतन्य पुरुष हैं और धारणा स्त्री। जिन्हें हम पुरूष समझतें हैं और जिन्हें स्त्री उन सभी में चैतन्य के साथ वास करती धारणा भी समान अनुपात में हैं जो कि हर पुरुष को उतनी ही स्त्री और हर स्त्री को उतना ही पुरुष भी सिद्ध करते हैं जितने वह सभी पुरुष और स्त्री...