धीरे-धीरे कॉलेज के चुनाव का समय नज़दीक आ रहा था। कुमुदिनी तिलक के प्रति बहुत आकर्षित हो रही थी लेकिन जब कुमुदिनी ने तिलक को अपने भाई वरुण के विरुद्ध चुनाव में खड़ा होने की बात जानी तब वह उससे नाराज़ हो गई। तिलक तो हमेशा उसका बहुत ख़्याल रखता था। वह आख़िर उसकी बहन थी लेकिन उसके ख़्याल रखने को भी कुमुदिनी उसका भी अपनी तरफ आकर्षण ही समझती थी। एक दिन कुमुदिनी ने तिलक से नाराज़ होते हुए कहा, "तिलक मेरे दिल में तुम्हारे लिए बहुत इज़्जत थी, प्यार भी पनप रहा था लेकिन मेरे भाई वरुण के