विविधा - 39

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39-कैसा हो बच्चों का साहित्य ?  पिछले कुछ वर्पो में हिन्दी व भारतीय भापाओं में प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य का प्रकाशन हुआ है। अंग्रेजी के साहित्य से तुलना करने पर हिन्दी व भारतीय भापाओं का साहित्य अभी श्ी काफी पीछे है, मगर संख्यात्मक दृप्टि से काफी साहित्य छपकर आया है। सरकारी थोक खरीद, कमीशन बाजी तथा नये प्रकाशकों के कारण साहित्य में संख्यात्मक सुधार हुआ है, मगर गुणात्मक ह्रास हुआ है। पाठ्य क्रम की पुस्तकों पर तो विचार विमर्श तथा जांच परख है, मगर अन्य जो खरीद योग्य साहित्य छप कर आ रहा है उसकी स्थिति ज्यादा सुखद नहीं