विविधा - 29

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29-कठपुतलियों का संसार कठपुतलियों को देश और विदेश में लोकप्रियता और प्रसिद्धि दिलाने हेतु स्व. देवीलाल सामर ने बहुत काम किया। उदयपुर का भारतीय लोककला मण्डल परम्परागत और नवीन कठपुतलियों तथा उनके समाजशास्त्रीय अध्ययन पर काफी काम कर रहा है।   पुतलियां चाहे पुरातन हों अथवा नवीन, सैद्धान्तिक दृप्टि से एक ही नियमों में बंधी हैं, और किन्हीं वास्तविक प्राणियों की नकल नहीं हो सकती। न्यूनतम अंग भंगिमाओं से अधिकतम भंगिमाओं का भ्रम उत्पन्न करना पारंपरिक एवं आधुनिक पुतलियों का परम धर्म है।   पुतली सिद्धान्त की दृप्टि से पुरातन पुतलियां जितनी आधुनिक है।, उतनी आधुनिक पुतलियां नहीं। चित्रकला की तरह भारतीय